दरभंगा AIIMS, केंद्र और बिहार की घटिया राजनीति का शिकार
News Lahar Desk: केंद्र की तत्कालीन UPA सरकार ने दिल्ली AIIMS में अन्य राज्यों खासकर पूर्व और पूर्वोत्तर राज्यों के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसके विस्तार का निर्णय लिया था। UPA सरकार ने बिहार के पटना में AIIMS खोलने का निर्णय लिया। पटना का AIIMS तो बन गया लेकिन सौगात में मिली दूसरी AIIMS मुजफ्फरपुर से दरभंगा जाते हुए अब सहरसा का रुख करने वाला है। बिहार में दूसरा AIIMS खोलने की सौगात नरेंद्र मोदी जी ने दी थी और आरंभ में इसे मुजफ्फरपुर में खोलने का निर्णय था परंतु कथित तौर पर मुजफ्फरपुर के बड़े व्यवसायी और भाजपा के पूर्व मंत्री के निजी स्वार्थ की वजह से इसे 2019 में दरभंगा में खोलने का निर्णय हुआ।लेकिन चार वर्ष बीत जाने के बाद भी इसके खुलने का रास्ता साफ नहीं हो सका।नीतीश कुमार की मंशा दरभंगा मेडिकल कॉलेज को AIIMS में अपग्रेड करने की थी जिसपर AIIMS और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मनाही दे दी।केंद्र सरकार का कहना था की किसी भी वर्तमान मेडिकल कॉलेज को AIIMS में अपग्रेड नहीं किया जायेगा।
तब नीतीश की एनडीए सरकार ने दरभंगा मेडिकल कॉलेज की 80 एकड़ जमीन AIIMS को सौंप दी गई परंतु नीतीश कुमार के पलटी मारते ही इस निर्णय को बदलते हुए AIIMS को दी गई जमीन वापस ले ली गई। राजद के एक विधायक ने अशोक पेपर मिल की जमीन पर AIIMS खोलने का प्रस्ताव दिया। राज्य सरकार ने इसे अनसुना करते हुए बायपास स्थित शोभन गांव में स्थापित करने के लिए 182 एकड़ जमीन मुहैय्या करने का प्रस्ताव दिया।जब केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय की टीम जगह का मुआयना करने पहुंची तो उन्होंने राज्य सरकार के प्रस्तावित जमीन को अनुपयुक्त बता कर रिजेक्ट कर दिया। केंद्र की टीम ने स्थल का मुआयना करने के बाद कहा की यह जमीन बायपास में 30 फीट गहरी है जहां बाढ़ और जल जमाव का खतरा बना रहेगा। नीतीश कुमार के सुर भी बदल गए और उन्होंने उक्त गड्ढे के अलग दरभंगा में कोई दूसरी जमीन देने से मना कर दिया है।
इस बीच हुए एक नई घटनाक्रम में जदयू तथा राजद के दस सांसदों ने केंद्र सरकार को एक ज्ञापन देकर AIIMS को सहरसा में खोलने की मांग कर दी है।हाल में जेल से छूटे पूर्व सांसद आनंद मोहन के नेतृत्व में AIIMS को सहरसा स्थानातरित किए जाने की लेकर आंदोलन भी शुरू हो गया है।
अब AIIMS जहां भी बने बिहार की जनता को उसका लाभ मिलेगा लेकिन चार साल से फाइलों में दौड़ रही AIIMS को सही जमीन दिया गया होता तो अबतक शायद चालू होने की स्थिति में होती।आखिरकार नुकसान तो बिहारियों का ही हुआ।बताएं चलें की AIIMS के निर्माण खर्च केंद्र सरकार करती है और जमीन की व्यवस्था राज्य सरकार को करना होता है।परंतु दुर्भाग्यपूर्ण है की ऐसा नहीं हो पाया।लोग नीतीश कुमार के दरभंगा मेडिकल कॉलेज परिसर में जमीन दिए जाने फिर से वापस लेने के निर्णय पर सवाल उठा रहे हैं।कथित तौर पर यह कहा जा रहा है AIIMS के लिए शोभन वाली जमीन आवंटित होने का निर्णय गलत है और कथित तौर पर महागठबंधन के कुछ नेताओं को आर्थिक लाभ दिलाने के उद्देश्य से किया गया है। दरभंगा और आसपास के लोगों में इस बात को लेकर बहुत रोष है इनका कहना है की दरभंगा मेडिकल कॉलेज वाली जमीन AIIMS के सर्वथा अनुकूल थी।लोग आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं की NDA सरकार से नाता तोड़ते ही उन्होंने डीएमसीएच की जमीन AIIMS से वापस क्यों ले ली? आखिर कौन हैं वो लोग जिसे AIIMS के शोभन ले जाने से लाभ मिलने वाला है।दरभंगा की जनता नीतीश कुमार से यह सवाल कर रही है की AIIMS को सहरसा ले जाने के आवेदन पर जदयू के ही अधिकांश सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं इसके पीछे की राजनीति क्या है?