कस्तूरी यादव
बिहार में आगामी दो-तीन महीने बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और राज्य के विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव पूरी तैयारी के साथ चुनावी मैदान में उतरने की रणनीति बना रहे हैं।
हाल ही में तेजस्वी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ मिलकर बिहार के 20 प्रमुख जिलों में वोटर अधिकार रैली का आयोजन किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह रैली सफल रही और विपक्ष के लिए राजनीतिक उत्साह का कारण बनी।
लगातार चर्चा में बने रहने का प्रयास
इन उपलब्धियों के बावजूद तेजस्वी यादव लगातार नए प्रचारात्मक हथकंडे अपना रहे हैं। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि उन्हें अपने पिता लालू प्रसाद यादव की “जंगल राज” वाली छवि से अब भी डर है। विशेषज्ञ मानते हैं कि तेजस्वी यह समझते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में यदि उनकी पार्टी और महागठबंधन आवश्यक सीटें नहीं जीत पाए, तो उन्हें पाँच साल विपक्ष में बैठे रहकर संघर्ष करना पड़ेगा।
इस डर और चिंता के कारण तेजस्वी यादव ने “बिहार अधिकार यात्रा” निकाली, जिसमें वह गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों को लेकर जनसंपर्क कर रहे हैं।
तेजस्वी की असामान्य रणनीतियाँ
तेजस्वी यादव की चुनावी गतिविधियाँ अक्सर सामान्य जनसंवाद से परे नाटकीय और ध्यानाकर्षक रही हैं:
हाल ही में दरभंगा में मंत्री दिवेश मिश्रा द्वारा कथित रूप से पत्रकार से मारपीट की घटना पर तेजस्वी सुबह-सुबह घटनास्थल पर पहुंचे और पीड़ित पत्रकार के साथ स्थानीय थाना में शिकायत दर्ज करवाई।
इससे पहले पूर्णिया के सरकारी अस्पताल में आधी रात को पहुंचकर वहां की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया।
गुरुवार को बिहार अधिकार यात्रा के दौरान उन्होंने घोड़े पर सवार होकर जनसंपर्क किया और शाम को खगड़िया लौटते समय एक 9 वर्षीय बच्चे को हेलीकॉप्टर में बैठाकर 10–15 मिनट तक उड़ाया, जो मीडिया और जनता दोनों के लिए चौंकाने वाला दृश्य रहा।
राजनीतिक विश्लेषण
विशेषज्ञ मानते हैं कि तेजस्वी यादव की यह रणनीति केवल जनहित मुद्दों को उजागर करने का प्रयास नहीं बल्कि उनके व्यक्तिगत डर और चुनाव में हार के भय का संकेत भी है। उनका उद्देश्य है:
1. हर संभव प्रयास कर चुनाव जीतना
2. मीडिया और जनता के सामने अपनी सक्रियता और जनप्रियता दिखाना
3. महागठबंधन में नेतृत्व की स्थिति मजबूत करना
राजनीतिक विश्लेषक इसे “अत्यधिक प्रदर्शन और डर से प्रेरित चुनावी रणनीति” मानते हैं, जिसमें तेजस्वी यादव सत्ता न मिलने के डर से लगातार खुद को सक्रिय और मीडिया में नजर आने वाला बना रहे हैं।
बिहार में आगामी चुनावों से पहले तेजस्वी यादव की यह गतिविधियाँ दर्शाती हैं कि विपक्षी दल केवल राजनीतिक मुद्दों पर ही नहीं, बल्कि अपनी छवि और जनता में विश्वास बनाए रखने के लिए नाटकीय प्रदर्शन भी कर रहा है। यह स्पष्ट है कि तेजस्वी यादव इस बार हर संभव प्रयास कर चुनाव में जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं, ताकि विपक्ष में पीछे न रहना पड़े और महागठबंधन की स्थिति को मजबूत किया जा सके।
