बिहार विधानसभा का मानसून सत्र मंगलवार को भी जोरदार हंगामे और सियासी आरोप-प्रत्यारोप के बीच चर्चा में रहा। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान (SIR – Special Intensive Revision) के बहाने सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों के खिलाफ साजिश का आरोप लगाते हुए ‘काली ब्रिगेड’ के रूप में प्रदर्शन किया।
सदन में काले कपड़ों का विरोध, नारेबाजी और धक्का-मुक्की
राजद, कांग्रेस और वाम दलों के विधायकों ने काले वस्त्र पहनकर विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लिया। जैसे ही सत्र शुरू हुआ, विपक्षी विधायक वेल तक पहुंचकर नारेबाजी, पोस्टरबाजी और हंगामा करने लगे।
स्थिति बिगड़ते देख विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने बार-बार शांति की अपील की, लेकिन हंगामा न रुकने पर सदन की कार्यवाही मात्र 21 मिनट में स्थगित कर दी गई।
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राबड़ी देवी के नेतृत्व में विधान परिषद में भी विरोध
विधान परिषद में विपक्ष का नेतृत्व कर रहीं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी स्वयं काली साड़ी पहनकर पहुँचीं और ‘काली ब्रिगेड’ के साथ विधान परिषद परिसर में धरना-प्रदर्शन किया। उन्होंने SIR को संविधान के खिलाफ बताते हुए कहा कि “यह गरीब, पिछड़ा, दलित और मुस्लिम मतदाताओं को वोटर लिस्ट से बाहर करने की साजिश है।”
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सरकार की ओर से 12 विधेयक सदन में प्रस्तुत
हंगामे के बावजूद सरकार की ओर से ६ महत्वपूर्ण विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत किए गए, जिनमें शामिल हैं:
कर्पूरी ठाकुर स्किल यूनिवर्सिटी की स्थापना विधेयक
सीतामढ़ी पूनौराधाम ट्रस्ट प्रबंधन विधेयक
धार्मिक न्यास, नगर पालिका संशोधन एवं कृषि भूमि से जुड़े विधेयक
डिप्टी सीएम ने विपक्ष को घेरा
डिप्टी सीएम साम्राज्य सिंह ने विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए कहा, “SIR प्रक्रिया पूर्णतया पारदर्शी है। जो लोग जन समर्थन खो चुके हैं, वे भ्रम फैला रहे हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची सुधार चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप हो रहा है।
आगे की रणनीति और संभावित टकराव
यह सत्र 17वीं विधानसभा का अंतिम मानसून सत्र है और 25 जुलाई तक चलेगा। 24 जुलाई को प्रथम अनुपूरक बजट पर बहस होनी है। विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर SIR अभियान वापस नहीं लिया गया तो वे सदन चलने नहीं देंगे।
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राजनीतिक विश्लेषण
विशेषज्ञ मानते हैं कि काले कपड़ों का यह प्रतीकात्मक विरोध और सदन में बार-बार हो रहे गतिरोध आगामी चुनावों की तैयारी का हिस्सा है। जहां सरकार विकास और विधायी कार्यवाही पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है, वहीं विपक्ष जनसरोकार के मुद्दों को लेकर आक्रामक रणनीति अपना रहा है।
बिहार विधानसभा में आज का दिन विरोध, प्रतीकवाद और राजनीतिक आक्रोश से भरा रहा। अब देखना है कि आने वाले दिनों में सरकार और विपक्ष के बीच यह टकराव किस दिशा में जाता है, और क्या जनता से जुड़े मुद्दों पर सार्थक चर्चा संभव हो पाएगी।