Sunday, July 27, 2025
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मधुबनी कला को नई उड़ान: बिहार स्किल डेवलपमेंट मिशन ने लोक कला के संवर्धन हेतु दो निजी कंपनियों से किया समझौता

बिहार की विश्वविख्यात मधुबनी पेंटिंग और अन्य पारंपरिक लोक कलाओं को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए, बिहार स्किल डेवलपमेंट मिशन (BSDM) ने दो निजी कंपनियों के साथ साझेदारी (एमओयू) की है। यह समझौता राज्य की सांस्कृतिक विरासत को कौशल और रोजगार के साथ जोड़ने के व्यापक उद्देश्य को दर्शाता है।

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यह घोषणा विश्व युवा कौशल दिवस के अवसर पर पटना में आयोजित ‘मेगा जॉब फेयर 2025’ के दौरान की गई, जहां मुख्यमंत्री की उपस्थिति में कई नई योजनाओं और डिजिटल पोर्टलों की भी शुरुआत की गई।

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समझौते का उद्देश्य

इस समझौते का मुख्य उद्देश्य मधुबनी, मंजूषा, टिकुली जैसी पारंपरिक चित्रकलाओं को कौशल विकास के मुख्यधारा पाठ्यक्रमों में शामिल करना है। इन कलाओं से जुड़े कलाकारों को न सिर्फ प्रशिक्षित और प्रमाणित किया जाएगा, बल्कि उन्हें रोज़गार के अवसरों से भी जोड़ा जाएगा।

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BSDM के अधिकारियों के अनुसार, यह साझेदारी पारंपरिक कलाकारों को आधुनिक डिज़ाइन सोच, मार्केटिंग रणनीति, डिजिटल प्लेटफॉर्म की समझ आदि के साथ सशक्त बनाएगी।

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पारंपरिक कला + आधुनिक प्रशिक्षण

‘उमसास हैंड पेंटिंग स्कीम’ के तहत चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों में अब 300 घंटे की अवधि वाले विशेष कोर्स भी जोड़े जा रहे हैं। इन पाठ्यक्रमों में कलाओं का पारंपरिक ज्ञान, आधुनिक डिज़ाइन अपग्रेडेशन, और ई‑कॉमर्स या सोशल मीडिया मार्केटिंग जैसी आधुनिक तकनीकों को भी जोड़ा जा रहा है।

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क्या बदलेगा इस पहल से?

क्षेत्र प्रभाव

कलाकारों का आर्थिक सशक्तिकरण प्रशिक्षण के साथ-साथ ‘मुख्यमंत्री कौशल योजना’ और ‘इंटर्नशिप स्कीम’ के तहत स्टाइपेंड, जिससे स्थानीय युवाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर
सांस्कृतिक संरक्षण लुप्त होती पारंपरिक चित्रकला को नई पीढ़ी तक हस्तांतरित करने की ठोस योजना
ग्लोबल मार्केट एक्सपोज़र इन कलाओं को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुँचाने हेतु ब्रांडिंग और गुणवत्ता मानकों का समावेश
महिलाओं की भागीदारी मधुबनी कला से अधिकांशतः महिलाएं जुड़ी हैं, यह पहल उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता की ओर ले जाएगी

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चुनौतियां भी कम नहीं

प्रशिक्षण की गुणवत्ता, सामग्री का मानकीकरण और प्रशिक्षकों की दक्षता—इन बिंदुओं पर निगरानी आवश्यक होगी।

स्थानीय कलाकारों की संस्कृति के प्रति संवेदनशीलता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण रहेगा, विशेषकर जब निजी क्षेत्र इसमें साझेदार हो।

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यह भी देखना होगा कि ये निजी कंपनियाँ सिर्फ CSR उद्देश्यों तक सीमित न रहें, बल्कि दीर्घकालिक जुड़ाव बनाकर स्थानीय पारिस्थितिकी से जुड़ें।

बिहार स्किल डेवलपमेंट मिशन की यह पहल केवल कला संवर्धन की कोशिश नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक विरासत को भविष्य की अर्थव्यवस्था से जोड़ने का एक दूरदर्शी कदम है। यदि यह कार्यक्रम पारदर्शिता, गुणवत्ता नियंत्रण और समावेशी दृष्टिकोण के साथ लागू किया जाए, तो यह बिहार की लोक कलाओं को नई वैश्विक ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।

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