Sunday, July 27, 2025
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बिहार: कर्ज से त्रस्त एक ही परिवार के पांच ने खाया जहर, चार की मौत

शुक्रवार देर रात एक हृदयविदारक घटना सामने आई, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। बिहार के नालंदा जिले के पावापुरी थाना क्षेत्र स्थित जलमंदिर इलाके में एक ही परिवार के पांच लोगों ने सामूहिक रूप से जहर खा लिया। इस दर्दनाक घटना में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि एक सदस्य की हालत गंभीर बताई जा रही है। प्रारंभिक जांच में आर्थिक तंगी और साहूकारों के दबाव को आत्महत्या का मुख्य कारण माना जा रहा है।

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घटना का पूरा विवरण

मूल रूप से शेखपुरा जिले के शाहपुरा-सिक्करपुर गांव निवासी धर्मेंद्र कुमार (40) अपनी पत्नी सोनी कुमारी (38), बेटा शिवम कुमार (15) और दो बेटियों—दीपा कुमारी (16) और अरिका कुमारी (14)—के साथ पिछले छह महीनों से पावापुरी के जलमंदिर के पास किराये के मकान में रह रहे थे। बताया जाता है कि धर्मेंद्र का कपड़े का छोटा व्यवसाय था जो लॉकडाउन और आर्थिक मंदी के बाद पूरी तरह से ठप हो गया था।

कर्ज से दबे धर्मेंद्र ने करीब ₹5 लाख उधार ले रखा था, जिसे वह चुका नहीं पा रहे थे। प्रतिदिन साहूकारों के तगादे, धमकियां और अपमान से परिवार बुरी तरह टूट चुका था। शुक्रवार की रात परिवार ने मिलकर सल्फास जैसी जहरीली दवा खा ली।

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मौत और अस्पताल में जद्दोजहद

घटना की जानकारी मिलने के बाद पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़कर परिवार को बाहर निकाला और स्थानीय अस्पताल पहुंचाया। वहां इलाज के दौरान दीपा और अरिका ने दम तोड़ दिया। शनिवार सुबह इलाज के दौरान मां सोनी कुमारी की भी मौत हो गई। कुछ घंटे बाद पिता धर्मेंद्र ने भी अंतिम सांस ली। फिलहाल बेटा शिवम गंभीर हालत में VIMS पावापुरी में भर्ती है और डॉक्टरों की टीम उसकी जान बचाने में जुटी है।

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प्रशासन की प्रतिक्रिया

स्थानीय थाना प्रभारी ने मौके पर पहुंचकर छानबीन शुरू कर दी है। पुलिस को कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें परिवार ने आत्महत्या के लिए “ब्याजखोरों” को जिम्मेदार ठहराया है। नालंदा के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने अस्पताल और घटनास्थल का निरीक्षण किया और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया।

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पड़ोसियों की जुबानी

स्थानीय लोगों ने बताया कि परिवार बेहद शांत और सम्मानित था। वे बच्चों की पढ़ाई को लेकर भी बहुत सजग रहते थे। किसी को भी अंदेशा नहीं था कि वे इतना बड़ा कदम उठा सकते हैं। एक पड़ोसी ने बताया, “धर्मेंद्र रोज सुबह सबको नमस्ते करता था, लेकिन बीते कुछ दिनों से बहुत उदास और चुप रहने लगा था।”

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सामाजिक सवाल

यह घटना न केवल प्रशासन बल्कि समाज के लिए भी एक कठोर चेतावनी है कि आर्थिक तंगी और साहूकारी प्रथा आज भी आम लोगों की जान ले रही है। क्या हमारे समाज में अभी भी पीड़ितों को समय रहते सहारा नहीं मिल पाता?

जांच जारी है। प्रशासन ने कहा है कि दोषियों की पहचान कर जल्द गिरफ्तारी की जाएगी। वहीं, घटना के बाद इलाके में गहरा शोक है।

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