राजधानी पटना के पालीगंज इलाके में आज सुबह एक दर्दनाक हादसे ने पूरे बिहार को झकझोर कर रख दिया। एक तेज रफ्तार कार अनियंत्रित होकर सोन नहर में जा गिरी, जिससे कार सवार तीन महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
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घटना का विवरण: लापरवाही या संरचनात्मक चूक?
यह हादसा उस वक्त हुआ जब कार तेज गति से सगुना मोड़ की ओर जा रही थी। पालीगंज के समीप सड़क किनारे बह रही सोन नहर से कार जा टकराई और पानी में समा गई।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, कार का संतुलन अचानक बिगड़ा और नहर की ओर मुड़ गई — लेकिन वहां कोई सुरक्षा दीवार, लोहे की रेलिंग या अवरोधक मौजूद नहीं था जो उसे रोक पाता।
सिस्टम की चूक: जब सड़क से लगी हो मौत की लकीर
यह पहली बार नहीं है जब पटना में कोई वाहन सड़क किनारे स्थित नहर या नरसंहारक गड्ढों में गिरा हो। एक हालिया स्थानीय सर्वे के अनुसार, पटना ज़िले में ऐसी 50 से अधिक जगहें हैं, जहां सड़कें नहर, ड्रेनेज या नदी की धाराओं से सटी हुई हैं — लेकिन वहां न तो कोई रेलिंग है, न सुरक्षात्मक जाली, न ही चेतावनी संकेत।
> “यह हादसा नहीं, सरकारी लापरवाही से जन्मी त्रासदी है” — स्थानीय नागरिकों का आक्रोश
सरकार की भूमिका पर सवाल
बिहार सरकार और सड़क निर्माण विभाग पर बार-बार सवाल उठते रहे हैं कि आखिर इन जानलेवा खतरों को दूर क्यों नहीं किया जा रहा?
हर साल बरसात से पहले और बाद ऐसे हादसे आम होते जा रहे हैं, लेकिन स्थायी समाधान नहीं दिख रहा।
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सुरक्षा रेलिंग के नाम पर कहीं-कहीं आधे-अधूरे खंभे नजर आते हैं
नहरों के किनारे रिफ्लेक्टर या साइन बोर्ड तक नहीं
कई जगह पर सड़क चौड़ाई इतनी कम है कि एक साइड चूकते ही वाहन सीधे पानी में गिर सकता है
ड्राइवर की गलती नहीं, सिस्टम की विफलता
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इस मामले में ड्राइवर की गलती को पूरी तरह से दोष देना गलत होगा। जिस स्थिति में किसी वाहन का थोड़ा भी संतुलन बिगड़े और पास ही कोई सुरक्षा अवरोधक न हो, तो ऐसी दुर्घटना स्वाभाविक नहीं, बल्कि तय मानी जानी चाहिए।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और जन दबाव
घटना के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर सीधा हमला बोला है:
“यह सरकार की निष्क्रियता का परिणाम है, जो जानलेवा साबित हो रहा है। हम मांग करते हैं कि सभी नहर-सटे सड़कों पर सुरक्षा कवच अनिवार्य किया जाए।”
आगे क्या हो? सुझाव और मांगें
मुद्दा समाधान
सड़क किनारे नहरें लोहे की जाली/कंक्रीट रेलिंग लगे
चेतावनी संकेत हर खतरनाक मोड़ पर रिफ्लेक्टर और साइनेज लगे
प्रशासनिक जिम्मेदारी जिला प्रशासन को ऐसी लोकेशन की सूची बनाकर तुरंत एक्शन लेना चाहिए
जन भागीदारी स्थानीय नागरिकों को भी सरकार को इस बारे में सतर्क करते रहना चाहिए
पालीगंज की यह दुखद घटना हमें चेतावनी देती है कि जब तक सड़क की बुनियादी संरचना को सुरक्षित नहीं बनाया जाएगा, तब तक हर रफ्तार एक जोखिम है और हर मोड़ पर जान जाने की संभावना।
यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि नीतिगत विफलता और सरकारी लापरवाही का परिणाम है। अब वक्त आ गया है कि सरकार “दुर्घटनाओं के बाद मुआवजे” के बजाय “दुर्घटनाओं से पहले की सुरक्षा” पर ध्यान दे।