Saturday, October 5, 2024
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“वन नेशन वन इलेक्शन” को कानूनी जामा पहनाने की पहल

वन नेशन वन इलेक्शन 

नरेंद्र मोदी भाजपा के घोषणा पत्र में किए गए वादे “वन नेशन वन इलेक्शन” के जल्दी में अमल में लाने के मूड में हैं।लोकसभा का एक विशेष सत्र भी बुलाया गया है जिसमें  वन नेशन वन इलेक्शन को संवैधानिक जामा देने की कोशिश होगी।

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन का फॉर्मूला:

आजादी के बाद देश में कई वक्त लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे यह सिलसिला 1967 तक चला।उसके बाद कई बार विधानसभा को भंग किए जाने फिर 1977 के बाद लोकसभा के मध्यावदि चुनाव होने से यह परंपरा टूट गई।अब तो लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अलग होते हैं।भाजपा ने एक भाषा,एक विधान और एक निशान की तर्ज पर वन नेशन वन टैक्स का कानून लागू कर दिया है।भाजपा अब वन नेशन वन इलेक्शन को ठोस कानूनी जामा पहुंचाना चाहती है।पूर्व में विधि आयोग ने भी वन इलेक्शन नेशन वन इलेक्शन की सिफारिश की थी।विधि आयोग ने कहा की अलग चुनाव होने से खर्च भी ज्यादा होता है और सरकार विकास के कार्यों को पूरा करने की बजाय चुनावी मोड में ही रहती है।
एक राष्ट्र, एक चुनाव के समर्थन में तर्क दिया जाता है कि इससे चुनाव पर होने वाले खर्च में भारी कमी आएगी। विधि आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनावों में 60,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इस राशि में चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दलों द्वारा खर्च की गई राशि और चुनाव आयोग ऑफ इंडिया (ECI) द्वारा चुनाव कराने में खर्च की गई राशि शामिल है। लॉ कमीशन का कहना है कि यदि 2019 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाते  तो नए ईवीएम  की खरीद पर 4,500 करोड़ का खर्चा बढ़ेगा। वहीं 2024 में साथ चुनाव कराने पर मात्र 1,751 करोड़ का खर्चा बढ़ेगा। इस तरह धीरे-धीरे ये अतिरिक्त खर्च भी कम होता जाएगा।
वन नेशन वन इलेक्शन को अपनाने के पीछे विशेषज्ञों का एक तर्क यह भी है  कि इससे पूरे देश में प्रशासनिक व्यवस्था में दक्षता बढ़ेगी। यह सही है कि  अलग-अलग मतदान के दौरान प्रशासनिक व्यवस्था की गति काफी धीमी हो जाती है। सामान्य प्रशासनिक कर्तव्य चुनाव से प्रभावित होते हैं क्योंकि अधिकारी मतदान कर्तव्यों में संलग्न होते हैं।  वर्तमान में, जब भी चुनाव होने वाले होते हैं तो आदर्श आचार संहिता लागू की जाती है। इससे उस अवधि के दौरान लोक कल्याण के लिए नई परियोजनाओं के शुरू पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। पीएम मोदी कह चुके हैं कि एक देश, एक चुनाव से देश के संसाधनों की बचत होगी। इसके साथ ही विकास की गति भी धीमी नहीं पड़ेगी।
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