एक फोन कॉल जिसने भारतीय दवा उद्योग की सूरत बदल दी,कौन था वो कॉल करने वाला शख्स? किसे किया था कॉल?
एक शख्स जिसने अमेरिकी दवा कंपनी की हवा निकाल दी,इनकम कर दी थी जीरो
आज वो कंपनी और भारत की इज्जत दोनों लगी है दांव पर जिसके लिए जिम्मेदार है भारत की आर्थिक नीति और सरकार का कानून
ऊपर तस्वीर में जो शख्स दिख रहे हैं वो है डॉक्टर हमीद जाने माने वैज्ञानिक और देश की टॉप 5 दवा कंपनी के फाउंडर और स्वामी । हामिद साहब एक जमाने में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए खलनायक थे और भारतीय उपभोक्ताओं के रोबिन हुड।
इन्हें श्रेय जाता है भारतीय प्रोडक्ट पेटेंट कानून को प्रोसेस पेटेंट में बदले जाने का।इनके एक फोन कॉल से तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी ने रातों रात पेटेंट कानून में संशोधन किया और उसके बाद शुरू हुआ भारतीय दवा उद्योग का विस्तार जो अमेरिका,इंग्लैंड,यूरोप सहित विश्वभर में फैल गया।हमीद साहब ने पेटेंटेड दवाओं की जेनेरिक वर्जन विकसित करने में महारत हासिल की और न सिर्फ भारत में अपनी कंपनी सिप्ला लिमिटेड को एक समय नंबर वन पर पहुंचाया बल्कि इनके नक्से कदम पर चलकर भारतीय दवा उद्योग ने भी खूब उन्नति की।भारत न सिर्फ दवा निर्माण में आत्म निर्भर हुआ बल्कि उसने विदेशों में भी सफलता के झंडे गाड़े।आज विश्व की जेनेरिक दवाओं में अकेले भारत का हिस्सा लगभग 45% है।भारत में बनी जेनेरिक दवाएं अमेरिका,इंग्लैंड,फ्रांस,जर्मनी ,रूस इत्यादि देशों को निर्यात की जाती हैं।
एक वक्त ऐसा भी आया जब सिप्ला ने अमेरिकी दवा कंपनी की इनकम को जीरो पर ला दिया।आपने AIDS बीमारी के बारे में सुना होगा इस बीमारी ने पूरे विश्व में भय का माहौल बना दिया था।अफ्रीका में तो AIDS ने विपदा और महामारी का रूप ले लिया।इस बीमारी के इलाज में काम आने वाली एक दवा थी Asclovir। दवा का निर्माण और विपणन का काम अमेरिकी दवा कंपनी के पास था जो इसे काफी महंगे दाम में बेचती थी और यह आम रोगियों के बस के बाहर की बात थी। उस वक्त सिप्ला ने इसके जेनेरिक वर्जन को बाजार में पेश किया जो अमेरिकी दवा कंपनी के दवा की कीमत से कई गुणा सस्ती थी।अफ्रीका की सरकार ने इसे हाथों हाथ लिया और इस तरह लाखों लोगों को राहत मिली।आज भी सिप्ला उक्त दवा का निर्माण करती है और मुनासिब कीमत पर बाजार को मुहैय्या करती है।
आज फिर से इस दवा कंपनी के अस्तित्व संकट में है और विदेशी निवेशकों के समूह ब्लैक स्टोन ने प्रवर्तकों की 33 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई है।यादि यह डील हो जाती है तो भारतीय दवा उद्योग का रोबिन हुड इतिहास बनकर रह जायेगा।